तन्हाई के आलम में, खुद को पाया है हमने। इस खामोशी में, दिल को समझाया है हमने।
अकेलेपन का भी अपना मज़ा है, यहां किसी की याद में दिल रोता है। हर आहट पर उम्मीद बंधती है, शायद कोई अपना लौट आता है।
जब-जब तन्हाई में खुद को पाया, हर बार तेरा ही ख्याल आया। ये दिल न जाने क्यों तुझसे दूर रहकर भी, तुझे पास महसूस करता है।
खामोशियां अब सहेली बन गई हैं, इस तन्हाई से मोहब्बत सी हो गई है। दिल अब शिकवा नहीं करता किसी से, इस अकेलेपन में भी चैन आ गई है।
रात के अंधेरों में तन्हा बैठा हूं, तेरी यादों में खुद को खोया हूं। ये दिल भी अब उदास है, तेरे बिना हर लम्हा बेवजह सा है।
अकेलेपन का ये सफर, बहुत कुछ सिखा गया। हर किसी से दिल न लगाने का, ये सबक दे गया।
तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी है, तन्हाई में जीने की मजबूरी है। हर पल बस यही सोचते हैं, कब खत्म होगी ये दूरी।
अकेलेपन की राह में, कई बार खुद को पाया है। इस तनहाई में भी, हर दर्द को अपनाया है।
तेरी यादों की चादर ओढ़ कर, इस तन्हाई को सुलाया है। दिल के हर कोने में, बस तेरा ही नाम बसाया है।
तन्हाई के इस सफर में, खुद को करीब से जाना है। इस खामोशी में, दिल को बहुत समझाया है।