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Famous Mirza Ghalib Shayari in Hindi with Images
In this article, you will Experience the beauty of the Famous 90+ Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Mirza Ghalib poetry, love shayari, and more. यह शायरी आप के दिलो छू जाएँगी और आशा करता हूँ की यह पोस्ट आप सभी शेर-ओ-शायरी के चाहने वालो को पसंद आएगी। you will also, get true love Shayari in Hindi, Gulzar love Shayari, प्यार भरी शायरी, and more.
Mirza Ghalib Shayari in Hindi: दोस्तों जब भी शेर-ओ-शायरी का जिक्र होता है तो महान लेखक मिर्जा गालिब का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। ग़ालिब उर्दू शायरी के सबसे चमकते सितारे हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब 1800 के दशक में भारतीय उपमहाद्वीप के एक प्रसिद्ध उर्दू और फ़ारसी कलाकार थे। 27 दिसंबर 1797 को उनका जन्म हुआ और 15 फरवरी 1869 को उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन उनकी कविताएं आज भी लोग सुनना और पढ़ना पसंद करते हैं. इसीलिए हम आज इस पोस्ट में Mirza Ghalib ki Shayari in Hindi लायें हैं । जो आपको बहुत पसंद आने वाले हैं । Share these Shayari with your love, friends, and on Facebook, WhatsApp, and Instagram Stories.
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mirza ghalib shayari in hindi
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Mirza Ghalib shayari in Hindi has a special charm. The Hindi language gives Ghalib’s poems a certain rhythm, which makes them more emotional. Every line is carefully put together, with a focus on rhythm and music. His deep thoughts are made even more beautiful by the way his words run together. It’s not surprising that Ghalib Shayari in Hindi has a special place in the hearts of Hindi poetry fans.
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हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो,
हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !
वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,
उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया !
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा ये दाग भी धुल गया !
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
फिर वही जिंदगी हमारी है ।
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
हम को उन से वफा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफा क्या है !
गुजर रहा हूँ यहाँ से भी गुजर जाउँगा,
मैं वक्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !
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कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम ना होते ना सही ज़िक्र तुम्हारा होता !
जिंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,
कफन भी लेते है तो अपनी जिंदगी देकर !
लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में,
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते !
मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा ग़ालिब,
यह न सोचा की,
एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी !
इसलिए कम करते हैं जिक्र तुम्हारा,
कहीं तुम खास से आम ना हो जाओ !
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘गालिब’
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे !
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी।
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है।।
तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिलाके देख।
नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख।।
दुःख दे कर सवाल करते हो,
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो !
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता।
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।।
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब,
नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते !
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बक रहा हूँ जूनून में क्या क्या कुछ
कुछ ना समझे खुदा करे कोई !
इश्क मुझको नहीं, वहशत ही सही,
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही !
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल को खुश रखने को ‘गालिब’ ये ख्याल अच्छा है !
ज़िन्दगी अपनी जब शक़ल से गुज़री ग़ालिब
हम भी क्या याद करेंगे के खुदा रखते थे
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
mirza ghalib love shayari
One can’t talk about Mirza Ghalib without talking about his love Shayari. Ghalib’s Poetry about love is like a lighthouse for romantics all over the world. He catches with ease the joy, pain, and longing that come with love. Mirza Ghalib love Shayari really speaks to people who have been through the ups and downs of love, which makes his poems a comfort and a friend.
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
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नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को।
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।।
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए।
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।।
इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के !
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा ये दाग भी धुल गया !
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है !
मौत पे भी मुझे यकीन है,
तुम पर भी ऐतबार है,
देखना है पहले कौन आता है,
हमें दोनों का इंतजार है !
हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे !
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में।
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।।
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां।
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।।
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।।
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ।
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता।
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता।।
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे।
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।।
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा।
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है।।
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता।
वगर्ना शहर में “ग़ालिब” की आबरू क्या है।।
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें।
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं।।
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज़।
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले।।
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन।
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले।।
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं।
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं।।
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है।
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।।
mirza ghalib famous shayari
Mirza Ghalib was known and loved during his lifetime, but not just by people who lived at the same time. His genius went beyond countries, and poets and writers all over the world are still influenced by him. Mirza Ghalib famous Shayari has been turned into many languages so that more people can enjoy how good his poetry is. People from different cultures and backgrounds can relate to him because the ideas he writes about in his poetry are universal.
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आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’,
कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था।
मौत का एक दिन मुअय्यन है,
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी,
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती।
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था,
दिल भी या-रब कई दिए होते।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ ,
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता।
मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती।
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे,
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे।
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया।
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए।
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे।
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।
यूँ ही गर रोता रहा ‘ग़ालिब’ तो ऐ अहल-ए-जहाँ,
देखना इन बस्तियों को तुम कि वीराँ हो गईं।
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आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी,
अब किसी बात पर नहीं आती।
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं।
Conclusion:
Mirza Ghalib’s Shayari is full of brilliant poetry. His ability to get to the heart of people’s feelings and the complexity of life is unmatched. Mirza Ghalib poetry, especially in Hindi, is still popular and has a special place in the world of verse. His love shayari, famous poems, and deep thoughts have made him a literary legend that will never die. Mirza Ghalib’s poems remind us of the power of words and how they can reach beyond time and into our souls.