Rahat Indori Best Shayari In Hindi (राहत इंदोरी बेस्ट शायरी)
दोस्तों यदि आप Rahat Indori Shayari की तलाश में है तो यहाँ आपको Dr. Rahat Indori Ki Shayari का बेहतरीन खजाना मिलने वाला है। जिनकी शायरी का हर कोई दीवाना है यहाँ आपको वही बेहतरीन राहत साहब की शायरियों का कलेक्शन मिलने वाला है जिसे पढ़ते ही आप मंत्रमुग्ध हो जायेंगे।
दोस्तों राहत इंदौरी जी उर्दू जगत के महान शायरों में से एक शायर हैं एवं हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार भी हैं। इनका जन्म 1 जनवरी 1950 में इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। राहत इंदौरी जी ने कवि सम्मेलन और मुशायरों के साथ-साथ हिंदी फिल्मों में भी खूब नाम कमाया. उन्होंने ‘घातक’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘बेगम जान’, ‘मर्डर’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘इश्क’ जैसी फिल्मों के गीत लिखे।
राहत साहब की शायरी बहुत ही फेमस है इसलिए यहाँ आज हम Rahat indori love shayari, Rahat Indori Sad Shayari और बहुत सी रोमांटिक शायरी लाये हैं जो आप लोगों को बहुत पसंद आने वाले हैं। शायरी पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें।
Rahat Indori Shayari
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते !
सिर्फ एक दिल ही है जो बिना,
आराम किये सालों काम करता है,
इसे हमेशा खुश रखिये ,
चाहे ये आपका हो या आपके अपनों का !
मेरे चेहरे पे कफ़न ना डालो,
मुझे आदत है मुस्कुराने की,
मेरी लाश को ना दफ़नाओ,
मुझे उम्मीद है उस के आने की !
उमीदे टूटी तो उमीद करना छोड़ दिया,
सपने टूटे तो सपने देखना छोड़ दिया,
जबसे दिल टूटा है, साँसे तो ले रहे है,
पर अब उन्होंने जीना छोड़ दिया !
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है !
दोस्ती जब किसी से की जाए,
तो दुश्मनों की भी राय ली जाए !
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं,
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश है लोगों की,
मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं
Rahat Indori Shayari in Hindi
सिर्फ एक दिल ही है जो बिना,
आराम किये सालों काम करता है,
इसे हमेशा खुश रखिये ,
चाहे ये आपका हो या आपके अपनों का !
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रजाई मांगे !
फूंक डालुंगा मैं किसी रोज दिल की दुनिया,
ये तेरा खत तो नहीं है जो जला ना सकूं !
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते !
यहां दरिया पे पाबंदी नहीं है,
मगर पहरे लबों पे लग रहे है
मजा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे !!
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते !
Rahat Indori Best Shayari
मेरे चेहरे पे कफ़न ना डालो,
मुझे आदत है मुस्कुराने की,
मेरी लाश को ना दफ़नाओ,
मुझे उम्मीद है उस के आने की !
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते !
सिर्फ एक दिल ही है जो बिना,
आराम किये सालों काम करता है,
इसे हमेशा खुश रखिये ,
चाहे ये आपका हो या आपके अपनों का !
उमीदे टूटी तो उमीद करना छोड़ दिया,
सपने टूटे तो सपने देखना छोड़ दिया,
जबसे दिल टूटा है, साँसे तो ले रहे है,
पर अब उन्होंने जीना छोड़ दिया !
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है !
दोस्ती जब किसी से की जाए,
तो दुश्मनों की भी राय ली जाए !
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं,
जो ये दीवार का सुराख है साज़िश है लोगों की,
मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं
Rahat Indori love Shayari
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
Rahat Indori ki Shayari
हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते..
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें..
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं.
प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है
मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है.
धनक है, रंग है, एहसास है की खुशबू है,
चमक है, नूर है, मुस्कान है के आँसू है,
मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को
खनक है, रक्स है, आवाज़ है की जादू है.
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें.
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो.
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जा.
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे.
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है.
Rahat Indori Sad Shayari
राज़ जो कुछ हो इसारो में बता भी देना
हाथ जब उससे मिले तो दबा भी देना।
वैसे इस खत में कोई बात नहीं है
फिर भी एहतियातन इसे पढ़ लो तो जला भी देना।
सूरज सितारे चाँद सब मेरे साथ रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे
क्या दिन दिखा रही है सियासत की धुप छाओ
जो कल सपूत थे वे कपूतो में आ गए
थे इस कदर अज़ीम की पैरो में ताज थे
इतने हुए ज़लील की जूतों में आ गए।
जाके कह दे कोई शोलो से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से।
मुद्दतो बाद यु तब्दील हुआ है मौषम
जैसे छुटकारा मिला है किसी बीमारी से
मेरे सांसो में समाया भी बहुत लगता है
वही शख्स पराया भी बहुत लगता है
और उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है
लेकिन आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।
फैसला जो कुछ भी हो मंजूर होना चाहिए
जुंग हो या इसक हो भरपूर होना चाहिए ,
कट चुकी है जो हाथे पत्थर तोड़ते हुए
अब उन हाथो में कोहिनूर होना चाहिए।
Rahat Indori Romantic Shayari
ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे
मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे।
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूँ है
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो।
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं
Rahat Indori Shayari Hindi
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
लवे दीयों की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से
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