तुम होते तो नसीब से लड़ जाते हम, तुम जो नहीं हो, तो तकदीर के साथ समझौता कर लिया हमने।
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की, वरना वक़्त तो किसी तरह गुजर ही जाता है।
कहानी खत्म हुई और ऐसी खत्म हुई, कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए।
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।
रात को जागते रहने की सज़ा मिलती है, सुब्ह आँखों में नींद भरने लगती है।
मेरे होने में कोई राज़ नहीं, फिर भी क्यों लगता है कि हर बात छुपी हुई है।
दिल से भुलाने की कोशिशें कभी कामयाब नहीं होतीं, यादें घर बना ही लेती हैं।
चाँद पिघल रहा था आसमान में कहीं, दर्द पिघल रहा था मुझमें।
मुझसे तू दूर क्यों है इतना, क्या तुझे प्यार नहीं मुझसे या फिर कोई और वजह है।
तुझसे मिलने की ख्वाहिश में, वक़्त से भी पहले आ गयी हूँ।