सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो, तेरे रवइये से जुदाई की महक आती है..!!
उजड़ी हुई दुनियां को तू आबाद ना कर, बीते हुए लम्हों को तू याद ना कर, एक कैद परिंदे ने कहा हमसे, मैं भूल चुका हु उड़ान तू मुझे आजाद ना कर..!!!
जरूरी नहीं की हम सबको पसंद आए, बस जिंदगी ऐसे जियो के रब को पसंद आए..!!!
थका हुआ हु थोड़ा, जिंदगी भी थोड़ी नाराज है, पर कोई बात नही ये तो रोज की बात है..!!
काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर…!
शहर ज़ालिमों का है साहब, जरा संभल कर चलना, यहां सीने से लगाकर, लोग दिल निकाल लेते है…!
मर जाता हु जब ये सोचता हु, मैं तेरे बगैर ही जी लिया…!
नखरे तो हम मरने के बाद भी करेंगे, तुम जमीन पर चलोगे और हम कंधो पर…!
तुम्हे तो जिंदगी का हर दुःख बताया था, तुम्हारा तो हक नही बनता था दुख देने का…!
किस मोहब्बत की बात करते हो दोस्त, वो, जिसको दौलत खरीद लेती है…!