दिल के दर्द को छुपाना पड़ता है, हंसते चेहरे के पीछे रोना पड़ता है। कब तक छुपा सकते हैं हम अपने ग़मों को, आखिरकार आंसुओं को बहाना पड़ता है।
ख़ामोशी से बिखरना आता है हमें, अब हर दर्द सहना आता है हमें। आँखों में आंसू आए भी तो क्या, अब मुस्कुराते हुए रोना आता है हमें।
वो बात ही कुछ ऐसी थी कि दिल से ना निकली, अब किसी और की बाहों में उसे देखना पड़ता है। हमने जिसे अपना समझा था दिल से, आज उसी के लिए गैर बनना पड़ता है।
हमसे पूछो क्या होता है दर्द ए तन्हाई, तुम जो समझे तो ये किस्सा नहीं होता। यूँ तो हर कोई सुलझा लेता है उलझनों को, पर हर किसी से ये मसला नहीं होता।
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा नहीं, तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी नहीं।
बहुत याद आता है वो गुज़रा हुआ जमाना, तेरी मेरी बातें और वो तेरा मुस्कुराना। अब तो बस यादें ही रह गई हैं साथ, और उन यादों में खो कर ही दिन और रात बिताना।
कुछ लोग दिल तोड़कर भी पूछा करते हैं, क्या तुम अब भी नाराज हो हमसे?
तेरे बिन एक पल भी जीना मुश्किल है, पर तुझे इसकी कोई परवाह नहीं।
दिल टूटा है मगर आवाज़ नहीं आई, ये कैसी मोहब्बत थी जिसने हमें रुला दी।
तुझसे दूर रह कर भी तुझे याद किया हमने, तेरी यादों में खुद को तबाह किया हमने। तू तो खुशहाल है अपनी दुनिया में, पर तेरे बिन हर पल को बर्बाद किया हमने।